कहते हैं कि अगर हौसले मजबूत हो तो इंसान कामयाबी की किसी भी चोटी तक पहुंच सकता है। इस बात पर अमल करते हुए चेन्नई के दो बच्चों ने बड़े-बड़ों को पछाड़ते हुए कामयाबी के कदम चूम लिए हैं। छोटी उम्र में दो भाइयों ने बड़े-बड़े उद्ममियों की कतार में अपनी भी जगह बना ली है और सीईओ बन गए हैं। जिस उम्र में बच्चे सिर्फ पढ़ाई और खेलकूद में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में इन दोनों भाइयों ने स्मार्टफोन की दुनिया में छाए ऐप स्टोर के एक हिस्से को अपनी मुठ्ठी में बंद कर लिया है।
12 वर्षीय श्रवण और 10 वर्षीय संजय कुमारन नामक दोनों भाइयों ने भारत के सबसे कम उम्र के सीईओ बनने का खिताब अपने नाम कर लिया है। 4 साल पहले 2012 में दोनों भाइयों ने गोडाइमेनशन नामक एक सॉफ्टवेयर की खोज की थी जिसे आज एक संपूर्ण रूप दे दिया गया है। श्रवण और संजय ने कक्षा 6 वी और 8 वी में पढ़ते हुए पहला मोबाइल ऐप बनाया था। पिछले 4 सालों में दोनों भाइयों ने मिलकर 11 ऐप बनाए हैं जिन्हें करीब 70 हजार डाउनलोड किए गए हैं।
दोनों ने बताया कि उनके सर्वश्रेष्ठ ऐप कैच मी कॉप को लांच करने से पहले उन्होंने करीब 150 ऐप तैयार किए थे। उनके द्वारा बनाए गए अन्य ऐप में एल्फाबेट बोर्ड भी शामिल है जिसे ऐप स्टोर में 5 स्टार की रेटिंग प्राप्त है। इसके अलावा दोनों भाइयों ने प्रेयर प्लैनेट और ईटीसी ऐप भी बनाया है।
दोनों भाइयों ने बताया कि वह अपनी इस मेहनत का श्रेय स्टीव जॉब को देते हैं। उन्होंने अपने पिता से स्टीव जॉब के बारे में काफी सुना था जिसके बाद दोनों ने उनकी तरह बनने की ठान ली। दोनों का कहना है कि मोहनत करने से कोई भी कठिन काम आसान लगने लगता है। मेहनत करने की कोई उम्र नहीं होती। आप किसी भी उम्र में कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकते हैं।
दोनों समय पर स्कूल जाने के साथ-साथ काम को भी बखूबी संभालते हैं। एप्पल ने श्रवण और संजय को भारत के सबसे कम उम्र के मोबाइल एप्लिकेशन प्रोगरामर की उपाधि दी है।
12 वर्षीय श्रवण और 10 वर्षीय संजय कुमारन नामक दोनों भाइयों ने भारत के सबसे कम उम्र के सीईओ बनने का खिताब अपने नाम कर लिया है। 4 साल पहले 2012 में दोनों भाइयों ने गोडाइमेनशन नामक एक सॉफ्टवेयर की खोज की थी जिसे आज एक संपूर्ण रूप दे दिया गया है। श्रवण और संजय ने कक्षा 6 वी और 8 वी में पढ़ते हुए पहला मोबाइल ऐप बनाया था। पिछले 4 सालों में दोनों भाइयों ने मिलकर 11 ऐप बनाए हैं जिन्हें करीब 70 हजार डाउनलोड किए गए हैं।
दोनों ने बताया कि उनके सर्वश्रेष्ठ ऐप कैच मी कॉप को लांच करने से पहले उन्होंने करीब 150 ऐप तैयार किए थे। उनके द्वारा बनाए गए अन्य ऐप में एल्फाबेट बोर्ड भी शामिल है जिसे ऐप स्टोर में 5 स्टार की रेटिंग प्राप्त है। इसके अलावा दोनों भाइयों ने प्रेयर प्लैनेट और ईटीसी ऐप भी बनाया है।
दोनों भाइयों ने बताया कि वह अपनी इस मेहनत का श्रेय स्टीव जॉब को देते हैं। उन्होंने अपने पिता से स्टीव जॉब के बारे में काफी सुना था जिसके बाद दोनों ने उनकी तरह बनने की ठान ली। दोनों का कहना है कि मोहनत करने से कोई भी कठिन काम आसान लगने लगता है। मेहनत करने की कोई उम्र नहीं होती। आप किसी भी उम्र में कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकते हैं।
दोनों समय पर स्कूल जाने के साथ-साथ काम को भी बखूबी संभालते हैं। एप्पल ने श्रवण और संजय को भारत के सबसे कम उम्र के मोबाइल एप्लिकेशन प्रोगरामर की उपाधि दी है।
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