एक रोड एक्सीडेंट के बाद ब्रेन डेड घोषित 18 वर्षीय छात्रा अंजू धीमान ने पांच लोगों को नया जीवन दिया है। अंजू की किडनी, लीवर और कोर्निया को जरूरतमंद मरीज को डोनेट किए गए हैं। देर शाम पीजीआई की टीम ने डोनेट अंगों को रिसीपिएंट में ट्रांसप्लांट करना शुरू कर दिया था।
अंजू पिछले दो दिन से पीजीआई में एडमिट थी। बाकी अंग तो काम कर रहे थे, लेकिन ब्रेन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। रविवार सुबह साढ़े आठ बजे उसे ब्रेन डेन घोषित किया गया और उसके बाद परिजनों से अंग डोनेट करने के लिए स्वीकृति ली गई।
पंचकूला मंडी बोर्ड हरियाणा के प्राइवेट सेक्रेटरी सुरेंद्र धीमान ने बताया कि उनके भाई रमेश धीमान यमुनानगर के गांव चहारवाला में रहते हैं। उनकी बेटी अंजू धीमान वीरवार को अपने चचेरे भाई के साथ बाइक पर जा रही थी। तभी रास्ते में नीलगाय आ गई और टक्कर लग गई। इससे अंजू और उसका चचेरा भाई घायल हो गए। अंजू को पीजीआई रेफर कर दिया गया। उसके सिर पर चोटें आई थीं। पीजीआई डाक्टरों ने उसे रिकवर करने की पूरी कोशिश की, लेकिन सफलता हाथ नहीं आई।
सुरेंद्र धीमान ने बताया कि रविवार सुबह ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेटर नवदीप और राजेंदर उनके पास आए और आर्गन डोनेशन के कंसेप्ट के बारे में समझाया। अंजू बचपन से ही दानी थी। कोई भी सामान लाती थी तो वह सबमें बांटती थी। समाजिक सेवा के प्रति उसका लगाव भी था। ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेटर के समझाने पर अंजू के परिजन आर्गन डोनेशन के लिए तैयार हो गए। उसके बाद पीजीआई ने अंजू के लीवर, किडनी और कोर्निया को सुरक्षित तरीके से निकाल लिया और ट्रांसप्लांट का काम शुरू कर दिया।
हार्ट का नहीं मिल पाया रिसीपिएंट
सुरेंद्र धीमान ने बताया कि हार्ट भी दिया जाना था, लेकिन उन्हें उपयुक्त रिसीपिएंट नहीं मिल पाया। जिसे पहले कॉल किया गया, वह आ नहीं पाया। दूसरे को कॉल किया तो उसमें दिक्कत आ गई। उसके बाद एम्स से भी बात की गई, लेकिन उस दौरान दिल्ली जाने के लिए कोई फ्लाइट नहीं थी। सड़क के रास्ते जाना आसान नहीं था। इसलिए हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया। इसी तरह से पेन्क्रियाज का भी कोई रिसीपिएंट नहीं मिल पाया।
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