होशियारपुर का गांव है गीगनवाल, जहां की मंजीत कौर खिलाड़ियों और विद्यार्थियों के लिए मिसाल बन गई है। पंजाब आर्म्ड पुलिस हेडक्वार्टर में तैनात मंजीत कौर ने खेल के साथ-साथ अपनी किताबों का साथ नहीं छोड़ा। इसलिए उसने एशियन गेम्स में सोने के पदक के साथ-साथ हिस्ट्री में मास्टर की डिग्री भी हासिल की।
मंजीत कौर पंजाब पुलिस में डीएसपी पद पर तैनात है। महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर हमेशा कदम उठाने वाली मंजीत कौर लंबे समय तक फील्ड में बतौर अधिकारी काम कर चुकी हैं।
मंजीत कौर बताती हैं कि गीगनवाल काफी छोटा गांव है। जब वह छोटी थी तो गांव में स्कूल सिर्फ पांचवीं कक्षा तक ही था, जो बाद में आठवीं कक्षा तक हो गया। आगे की पढ़ाई के लिए घर से कई किलोमीटर दूर गांव ढड्डा फतेह खान स्कूल में दसवीं में दाखिला लिया। स्कूल रोजाना साइकिल से जाना पड़ता था। फिर सोचा क्यों न पैदल या दौड़कर जाया जाए। यहीं से जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट आया। स्कूल में एथलेटिक्स गेम्स में हिस्सा लिया।
मंजीत कौर कहती हैं कि मेरी मां बिमला हमेशा कहती थीं कि खेलने में चोट लग जाएगी, इसको हटाओ लेकिन मेरे किसान पिता बनारसी दास हमेशा मुझे हौसला ही देते। होशियारपुर में सरकारी कॉलेज में तेज धूप में चार-चार घंटे प्रेक्टिस करती और रात भर पढ़ाई करती। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में चयन हो गया। 100 मीटर रेस में सोने का पदक हासिल किया, फिर 200 मीटर में भी।
खेल के मैदान के साथ-साथ पिता की हमेशा प्रेरणा होती थी कि स्टडी भी साथ चलनी चाहिए। खेलते-खेलते ही साथ में हिस्ट्री में मास्टर्स की और जूनियर एशियन गेम्स में सोने का मेडल जीता। 2001 में पंजाब पुलिस में परीक्षा देकर इंस्पेक्टर बनी और बाद में प्रमोट होकर डीएसपी बन गई। अब मंजीत कौर का एक ही लक्ष्य है कि लड़कियों को प्रेरणा व हौसला देकर उनको आगे बढ़ाया जाए।
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