यदि कुंडली में हो ये बातें तो गरीब व्यक्ति अचानक हो सकता है धनवान
कुंडली कुंडली के दूसरे भाव को धन और ग्यारहवें भाव को आय का कारक कहा जाता है। साथ ही, आर्थिक स्थिति की गणना के लिए चौथे और दसवें भाव के शुभ योग भी देखे जाते हैं। यदि इन भावों के स्वामी प्रबल होते हैं तो शुभ फल अवश्य देते हैं और कोई गरीब व्यक्ति भी धनवान हो जाता है। इन भावों के स्वामी निर्बल होने पर धन की कमी बनी रहती है। यदि धन भाव का स्वामी छठे भाव में, सुख भाव का स्वामी आठवें भाव में या लाभ भाव का स्वामी बारहवें भाव में हो या इनके स्वामियों से युति करें तो धन अभाव, कर्ज की परेशानी बनी रहती है।
1.ग्यारहवां भाव आय का स्थान कहलाता है। इस भाव की राशि और ग्रह पर आय स्थिति निर्भर करती है। इसका स्वामी निर्बल होगा तो आय कम होती है।
2.यदि ग्यारहवां भाव शुभ राशि का है या शुभ ग्रह की इस पर नजर पड़ रही है तो आय सही व अच्छे तरीके से होती है। यदि यहां पाप ग्रह हो तो आय गलत तरीकों से होती है। यहां दोनों तरह के ग्रह हों तो आय पर मिलाजुला असर रहता है।
3.इसी तरह यदि लाभ भाव में कई ग्रह होते हैं या कई ग्रहों की नजर इस भाव पर होती है तो आय के अनेक साधन बनते हैं।
4.यदि आय भाव शुभ है, लेकिन पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो या आय भाव का स्वामी कमजोर हो तो आय के साधन भी कमजोर रहते हैं।
5.आय भाव (11वां भाव) का स्वामी शुभ ग्रहों के साथ हो या शुभ भाव में हो तो भी आय के साधन अच्छे रहते हैं।
6. आय भाव (11वां भाव) में शनि-मंगल के कारण बनने वाले योग व्यक्ति को धनवान बनाते हैं।
7. 11वें भाव में सूर्य-चंद्रमा से बनने वाले योग व्यक्ति को लखपति बना देते हैं।
8.11वें भाव में बुध, बृहस्पति और शुक्र से बनने वाले योग व्यक्ति को अपार धन-संपदा प्रदान करते हैं। यहां बताए गए सभी योग तभी कारगर होते हैं, जब अपनी कुंडली की दशा, अंतर्दशा और गोचर को ध्यान रखते हुए ग्रहों के उचित उपाय समय-समय पर करते हैं।
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