सिद्धार्थ जोशी
सपने तो हर कोई देखता है। उसे अपनों के साथ शेयर भी करता है पर आपके सपनों को संजो कर कोई नहीं रखता। हम खुद ही अपने सपनों को देखते हैं और भूल जाते हैं। पर क्या आपको पता है कि इस दुनिया में एक व्यक्ति ऐसा भी है जो आपके सपनों को अपने पास इकट्ठा करके रखता है और उसे सोशल मीडिया के जरिए जिंदा रखने की कोशिश करता है। जी हां यही सच है। सपने देखना आसान है पर उसे जिंदा रखना बहुत मुश्किल।
पुणे के रहने वाले 34 वर्षीय सिद्धार्थ जोशी ने इसे सच कर दिखाया है। वह पेशे से फोटोग्राफर हैं लेकिन उनका सबसे बड़ा शौक लोगों के सपनों को इकट्ठा करना है। वह देश-विदेश घूमते रहते हैं और इस परियोजना के अंतर्गत उन्होंने अब तक 365 लोगों के सपनों को अपने पास इकट्ठा कर लिया है। वह देश की हर छोटी सी छोटी गली में जाकर आम लोगों से मिलते हैं और उनसे पूछते हैं कि उनका इस जिंदगी में क्या सपना है जिसे वो पूरा करना चाहते हैं। वह उस अंजान व्यक्ति की तस्वीर लेते हैं और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं।
उन्होंने अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ऐसे सभी सपनों को इकट्ठा कर रखा है। वह हर दिन एक सामान्य व्यक्ति से मिलते हैं और उनके सपने को संजो कर रखने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ऐसे सभी सपनों को इकट्ठा कर रखा है। वह हर दिन एक सामान्य व्यक्ति से मिलते हैं और उनके सपने को संजो कर रखने की कोशिश करते हैं।
सिद्धार्थ जोशी अपने इस काम के जिरए आम लोगों के नजदीक पहुंचते हैं। लोगों से उनके सपनों को लेकर खुलकर बात करना उन्हें अच्छा लगता है। उनका मानना है कि दुनिया में ऐसे बहुत से काम है जिन्हें करके आप सफलताओं की उंचाइयों को छू सकते हैं पर आम लोगों के दिल तक पहुंचना बड़ा कठिन है। इस सफलता को पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
उनके अनुसार आम लोगों से जो प्यार मिलता है ऐसा प्यार और सफलता कहीं नहीं है। वो अक्सर छोटी सी दुकान पर बाल काटने वाला, सड़क के किनारे ढाबा चलाने वाला, मजदूर जैसे लोगों से उनके सपनों के बारे में पूछते हैं और उनके करीब जाने की कोशिश करते हैं।
उनके अनुसार आम लोगों से जो प्यार मिलता है ऐसा प्यार और सफलता कहीं नहीं है। वो अक्सर छोटी सी दुकान पर बाल काटने वाला, सड़क के किनारे ढाबा चलाने वाला, मजदूर जैसे लोगों से उनके सपनों के बारे में पूछते हैं और उनके करीब जाने की कोशिश करते हैं।
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