ये हैं ऐसे विचार, जिनसे बचने पर दूर रहती हैं कई परेशानियां
कामुक व्यक्ति सारे संबंध ताक पर रख देता है। जब किसी व्यक्ति के सिर पर कामवासना नाचती है तो कम से कम वह भीतर से तो बर्बाद हो ही चुका होता है। हम सब अपने को बाहर से बचाने और अच्छा दिखाने में माहिर होते हैं, इसलिए अंदर जागी हुई काम ऊर्जा हमें अलग ढंग से नुकसान पहुंचाती है। यह शरीर को भड़काती है। इसीलिए आज कामवासना को लेकर जो दृश्य सामने आ रहे हैं, जैसे बयान दिए रहे हैं, वे मानव जीवन के लिए खतरनाक संकेत है।
ये काम ऊर्जा की गलत समझ के परिणाम हैं। यह कह देना कि कामक्रीड़ा भी खान-पान की तरह मनुष्य की जरूरत है, ठीक नहीं है। खाने-पीने की जरूरत और काम की जरूरत में फर्क समझना होगा। जो ऊर्जा अन्न पचाने में लगती है, वही ऊर्जा जब काम की ओर प्रवाहित होती है तो बर्बाद हो जाती है। इसलिए इसका सदुपयोग बचपन से ही सिखाना पड़ेगा। इसे थोड़ा शरीर से हटकर, मन से गुजारकर आत्मा में ले जाने की आसान कला होती है, जिसका प्रयोग लोग नहीं करते। काम ऊर्जा तो पैदा होगी ही, पर चूंकि आप उसे मोड़ नहीं रहे तो वह शरीर को इतना भड़का देती है कि फिर ऐसे लोग सारे संबंध समाप्त कर देते हैं।
मौका मिलते ही समझदार से समझदार आदमी भी गलत काम कर जाता है। इसलिए जब भी समय मिले अपनी काम ऊर्जा को अपनी स्पाइनल कॉर्ड के बॉटम जिसे मूलाधार चक्र कहते हैं, वहां से थोड़ा ऊपर उठाइए। इसी का नाम योग है। श्री हनुमान चालीसा से काम ऊर्जा ऊपर उठकर आपको एक नया संकल्प देगी। इसी ऊर्जा से आप बर्बाद भी हो सकते हैं और इसी से आबाद भी।
- पं. विजयशंकर मेहता
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