दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क वाला देश भारत भी अब हाईस्पीड बुलेट ट्रेन देश की कतार में शामिल होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो अबे बृहस्पतिवार को गुजरात के साबरमती में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की उस परियोजना की आधारशिला रखने जा रहे हैं, जो अगले पांच साल में हाई स्पीड ट्रेन में बैठने के सपने को आकार देगी।
इससे देश में सुरक्षा और रफ्तार के साथ विश्वस्तरीय रेल सेवा युग की शुरुआत होगी।
समय से एक साल पहले पूरी होगी
पहले 2023 में बुलेट ट्रेन दौड़ाने की योजना थी, लेकिन अब इसे आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त, 2022 को ही देश को समर्पित कर दिया जाएगा। यानी तय वक्त से एक साल पहले।
1.1 लाख करोड़ से तैयार होगी हमारी बुलेट ट्रेन
लंबाई: 508 किमी
औसत स्पीड : 250 किमी प्रति घंटा
अधिकतम स्पीड : 320 किमी प्रति घंटा
यात्रा समय : दो घंटे (मौजूदा ट्रेनें: 7 घंटे)
किराया: 3-5 हजार रुपये
लागत : 1.1 लाख करोड़ रुपये
81 फीसदी (90 हजार करोड़) जापान से ऋण
0.1 फीसदी के मामूली ब्याज पर
15 साल के बाद पुनर्भुगतान शुरू
50 साल में चुकाना है ऋण
20 हजार कंस्ट्रक्शन रोजगार
20 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार
750 लोग एक बार में करेंगे सफर
36 हजार लोग रोज करेंगे सफर
समय से एक साल पहले पूरी होगी
पहले 2023 में बुलेट ट्रेन दौड़ाने की योजना थी, लेकिन अब इसे आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त, 2022 को ही देश को समर्पित कर दिया जाएगा। यानी तय वक्त से एक साल पहले।
1.1 लाख करोड़ से तैयार होगी हमारी बुलेट ट्रेन
लंबाई: 508 किमी
औसत स्पीड : 250 किमी प्रति घंटा
अधिकतम स्पीड : 320 किमी प्रति घंटा
यात्रा समय : दो घंटे (मौजूदा ट्रेनें: 7 घंटे)
किराया: 3-5 हजार रुपये
लागत : 1.1 लाख करोड़ रुपये
81 फीसदी (90 हजार करोड़) जापान से ऋण
0.1 फीसदी के मामूली ब्याज पर
15 साल के बाद पुनर्भुगतान शुरू
50 साल में चुकाना है ऋण
20 हजार कंस्ट्रक्शन रोजगार
20 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार
750 लोग एक बार में करेंगे सफर
36 हजार लोग रोज करेंगे सफर
यह भारतीय रेलवे और जापान की शिंकानसेन टेक्नोलॉजी की संयुक्त परियोजना है। शिंकानसेन के पास हाई स्पीड रेल संचालन का 50 साल का अनुभव है। उसका ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग रहा है। एक मिनट से भी कम विलंब और हादसे में किसी की मौत नहीं।
27 किमी सुरंग से गुजरेगी
508 किमी लंबे इस इस रेल मार्ग का 460 किमी एलिवेटेड, 27 किमी सुरंग जिसका कुछ हिस्सा समुद्र के अंदर और 13 किमी जमीन के नीचे होगा। यह ट्रेन देश की सबसे लंबी सुरंग को पार करेगी जिसका दो किमी हिस्सा समुद्र के अंदर होगा। पहली बार कोई ट्रेन समुद्र के अंदर बने टनल से गुजरेगी।
12 स्टेशन
मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलीमोरा, सूरत, भरूच, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती
(इनमें सिर्फ मुंबई स्टेशन भूमिगत होगा)
दो तरह की सेवाएं
रैपिड ट्रेन सूरत और वड़ोदरा में ही ठहरेगी और दो घंटे सात मिनट में पहुंचेगी। वहीं, 10 स्टेशनों पर रुकने वाली दूसरी सेवा दो घंटे 58 मिनट में मुंबई से अहमदाबाद की दूरी तय करेगी। बुलेट ट्रेन इस रूट पर रोज 35 फेरे लगाएगी। पीक टाइम में हर घंटे तीन ट्रेनें और सामान्य समय में हर घंटे में दो ट्रेनें चलाई जाएंगी।
कई और रूट की भी तैयारी
मुंबई-अहमदाबाद के बाद दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, मुंबई-चेन्नई, दिल्ली-चंडीगढ़, मुंबई-नागपुर और दिल्ली-नागपुर के बीच भी हाई स्पीड रेल नेटवर्क बनाने की योजना है। दिल्ली-कोलकाता के बीच बुलेट ट्रेन चली तो यह दूरी छह घंटे में पूरी हो जाएगी।
भारत की सबसे तेज दौड़ने वाली ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा
एक मार्च, 1969 को दिल्ली से हावड़ा तक पहली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई थी। 24 घंटे के इस सफर को 17 घंटे में पूरा किया जाने लगा। अब देश में शताब्दी, दूरंतो और गतिमान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें हैं, जिनकी अधिकतम रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा है।
15 देशों में हाई स्पीड रेल सेवा
दुनिया के 15 देशों में हाई स्पीड रेल सेवा संचालित की जा रही है। इनमें चीन की मैगलेव दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन है। इसकी अधिकतम गति 430 किमी प्रति घंटा है।
27 किमी सुरंग से गुजरेगी
508 किमी लंबे इस इस रेल मार्ग का 460 किमी एलिवेटेड, 27 किमी सुरंग जिसका कुछ हिस्सा समुद्र के अंदर और 13 किमी जमीन के नीचे होगा। यह ट्रेन देश की सबसे लंबी सुरंग को पार करेगी जिसका दो किमी हिस्सा समुद्र के अंदर होगा। पहली बार कोई ट्रेन समुद्र के अंदर बने टनल से गुजरेगी।
12 स्टेशन
मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलीमोरा, सूरत, भरूच, वड़ोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती
(इनमें सिर्फ मुंबई स्टेशन भूमिगत होगा)
दो तरह की सेवाएं
रैपिड ट्रेन सूरत और वड़ोदरा में ही ठहरेगी और दो घंटे सात मिनट में पहुंचेगी। वहीं, 10 स्टेशनों पर रुकने वाली दूसरी सेवा दो घंटे 58 मिनट में मुंबई से अहमदाबाद की दूरी तय करेगी। बुलेट ट्रेन इस रूट पर रोज 35 फेरे लगाएगी। पीक टाइम में हर घंटे तीन ट्रेनें और सामान्य समय में हर घंटे में दो ट्रेनें चलाई जाएंगी।
कई और रूट की भी तैयारी
मुंबई-अहमदाबाद के बाद दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता, मुंबई-चेन्नई, दिल्ली-चंडीगढ़, मुंबई-नागपुर और दिल्ली-नागपुर के बीच भी हाई स्पीड रेल नेटवर्क बनाने की योजना है। दिल्ली-कोलकाता के बीच बुलेट ट्रेन चली तो यह दूरी छह घंटे में पूरी हो जाएगी।
भारत की सबसे तेज दौड़ने वाली ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रति घंटा
एक मार्च, 1969 को दिल्ली से हावड़ा तक पहली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई थी। 24 घंटे के इस सफर को 17 घंटे में पूरा किया जाने लगा। अब देश में शताब्दी, दूरंतो और गतिमान एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें हैं, जिनकी अधिकतम रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा है।
15 देशों में हाई स्पीड रेल सेवा
दुनिया के 15 देशों में हाई स्पीड रेल सेवा संचालित की जा रही है। इनमें चीन की मैगलेव दुनिया की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन है। इसकी अधिकतम गति 430 किमी प्रति घंटा है।
उठ रहे ये सवाल
बुलेट ट्रेन को लेकर आलोचनाएं भी हो रही हैं। कोई इसकी लागत ज्यादा होने का तर्क दे रहा है तो कोई महंगे टिकट को लेकर सवाल खड़े कर रहा है...
1. लागत बहुत ज्यादा है
बुलेट ट्रेन की लागत का ज्यादातर हिस्सा जापान दे रहा है। इस पर भी बहुत मामूली ब्याज लगेगा। इसे लंबे समय में चुकाना है। भारत को अगले पांच साल में 20 हजार करोड़ रुपये का योगदान करना है। केंद्र सरकार के लिए यह कोई बहुत ज्यादा बड़ी रकम नहीं है। इसके लिए उसे किसी दूसरे क्षेत्र की परियोजना के साथ समझौता नहीं करना पड़ेगा।
2- टिकट बहुत महंगे होंगे
मुंबई से अहमदाबाद के सफर के लिए तीन से पांच हजार रुपये का टिकट लगेगा। पहली नजर में यह हवाई किराए से ज्यादा लग रहा है, लेकिन एयरपोर्ट जाने और आने में लगने वाले समय और लागत जोड़ दें तो हवाई किराया बहुत सस्ता नहीं पड़ेगा। इसके अलावा यह सफर उड़ान के मुकाबले सुरक्षित और आरामदेह होगा।
3- विकास दर पर असर
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन के मुताबिक हाई स्पीड रेल से जुड़े शहरों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.7 फीसदी ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई। बाजार तक पहुंचने में कम समय लगने का असर बढ़ी हुई विकास दर के रूप में सामने आता है। इस परियोजना से सीमेंट, स्टील और परिवहन सेवाओं को विस्तार मिलेगा।
1. लागत बहुत ज्यादा है
बुलेट ट्रेन की लागत का ज्यादातर हिस्सा जापान दे रहा है। इस पर भी बहुत मामूली ब्याज लगेगा। इसे लंबे समय में चुकाना है। भारत को अगले पांच साल में 20 हजार करोड़ रुपये का योगदान करना है। केंद्र सरकार के लिए यह कोई बहुत ज्यादा बड़ी रकम नहीं है। इसके लिए उसे किसी दूसरे क्षेत्र की परियोजना के साथ समझौता नहीं करना पड़ेगा।
2- टिकट बहुत महंगे होंगे
मुंबई से अहमदाबाद के सफर के लिए तीन से पांच हजार रुपये का टिकट लगेगा। पहली नजर में यह हवाई किराए से ज्यादा लग रहा है, लेकिन एयरपोर्ट जाने और आने में लगने वाले समय और लागत जोड़ दें तो हवाई किराया बहुत सस्ता नहीं पड़ेगा। इसके अलावा यह सफर उड़ान के मुकाबले सुरक्षित और आरामदेह होगा।
3- विकास दर पर असर
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक अध्ययन के मुताबिक हाई स्पीड रेल से जुड़े शहरों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.7 फीसदी ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई। बाजार तक पहुंचने में कम समय लगने का असर बढ़ी हुई विकास दर के रूप में सामने आता है। इस परियोजना से सीमेंट, स्टील और परिवहन सेवाओं को विस्तार मिलेगा।
0 Comment to "सपना होगा सच, भारत की बुलेट ट्रेन के बारे में सबकुछ जो जानना चाहते हैं आप"
Post a Comment