टाटा कम्युनिकेशन में रीजनल हेड और डीजीएम का पद, 32.5 लाख रुपये का सालाना पैकेज। इज्जत, दौलत, और शोहरत सबकुछ था दिल्ली के पुनीत रमन के पास लेकिन उन्होंने अपनी पसंद का काम करने के लिए एक झटके में इन सबको छोड़ दिया। पुनीत रविवार को हरकोर्ट बटरल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) में एंटरप्रिन्योरशिप वर्कशॉप को संबोधित करने आए थे।
उन्होंने ‘अमर उजाला’ से कानपुर में बातचीत के दौरान अपनी सक्सेस स्टोरी बताई। बोले, मैंने 12वीं के बाद रामजस में बीकॉम ऑनर्स के लिए एडमिशन लिया लेकिन फेल हो गया। इसके बाद बीकॉम के लिए अप्लाई कर दिया। पास होने के बाद मोटोरोला कंपनी में इंटर्नशिप की। कंपनी को मेरा काम पसंद आया। एक साल बाद मुझे वहीं नौकरी मिल गई। शुरूआत अच्छी थी लेकिन मन में कुछ और ही चल रहा था। पार्ट टाइम एमबीए भी किया।
इसके बाद महिंद्रा, रिलायंस कम्युनिकेशन जैसी कई कंपनियों में काम किया। लास्ट में टाटा कम्युनिकेशन में बतौर रीजनल हेड और डीजीएम नार्थ एंड ईस्ट इंडिया के पद पर काम करने को मिला। 32.5 लाख रुपये सैलरी थी लेकिन मुझे अपना लक्ष्य याद था। मैं कुछ खुद का शुरू करना चाहता था और 2015 में मैंने नौकरी छोड़ दी। एंटरप्रिन्योरशिप और स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए खुद की कंपनी प्रोविस्डम ग्रोथ शुरू की। इस कंपनी के जरिए अभी तक वह 13000 युवाओं को एंटरप्रिन्योर बना चुके हैं।
एंटरप्रिन्योर्स को राह दिखाता है प्रोविस्डम
पुनीत ने कानपुर में बताया कि अगर कोई स्टार्ट अप या एंटरप्रिन्योरशिप की तरफ आगे बढ़ रहा है तो वह www.prowisdom.in पर जाकर हर तरह की मदद पा सकता है। प्रोविस्डम एक ऐसी कंपनी है तो एंटरप्रिन्योरशिव और स्टार्ट अप को बढ़ावा देती है। युवाओं के पास अगर अच्छा आइडिया है तो उसे फंडिंग के लिए बड़ी इंडस्ट्री से कोआर्डिनेट कराती है। किसी को मेंटरशिप चाहिए तो वह भी यहां से आसानी से पा सकता है।
पुनीत कहते हैं कि कंपनी की उद्देश्य बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट, स्कूल और कॉलेज सबको एक प्लेटफार्म पर लाना था। वह उन्होंने कर दिखाया। अब स्कूल का स्टूडेंट भी अगर अच्छा आइडिया लाता है तो वह हमारे वेबसाइट के जरिए बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट से कांटैक्ट कर सकता है। इंडस्ट्रियलिस्ट उसे उसके काम में हर संभव मदद देते हैं। फिर वह फंडिंग करना हो या उसे प्रमोट करना।
इसके बाद महिंद्रा, रिलायंस कम्युनिकेशन जैसी कई कंपनियों में काम किया। लास्ट में टाटा कम्युनिकेशन में बतौर रीजनल हेड और डीजीएम नार्थ एंड ईस्ट इंडिया के पद पर काम करने को मिला। 32.5 लाख रुपये सैलरी थी लेकिन मुझे अपना लक्ष्य याद था। मैं कुछ खुद का शुरू करना चाहता था और 2015 में मैंने नौकरी छोड़ दी। एंटरप्रिन्योरशिप और स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए खुद की कंपनी प्रोविस्डम ग्रोथ शुरू की। इस कंपनी के जरिए अभी तक वह 13000 युवाओं को एंटरप्रिन्योर बना चुके हैं।
एंटरप्रिन्योर्स को राह दिखाता है प्रोविस्डम
पुनीत ने कानपुर में बताया कि अगर कोई स्टार्ट अप या एंटरप्रिन्योरशिप की तरफ आगे बढ़ रहा है तो वह www.prowisdom.in पर जाकर हर तरह की मदद पा सकता है। प्रोविस्डम एक ऐसी कंपनी है तो एंटरप्रिन्योरशिव और स्टार्ट अप को बढ़ावा देती है। युवाओं के पास अगर अच्छा आइडिया है तो उसे फंडिंग के लिए बड़ी इंडस्ट्री से कोआर्डिनेट कराती है। किसी को मेंटरशिप चाहिए तो वह भी यहां से आसानी से पा सकता है।
पुनीत कहते हैं कि कंपनी की उद्देश्य बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट, स्कूल और कॉलेज सबको एक प्लेटफार्म पर लाना था। वह उन्होंने कर दिखाया। अब स्कूल का स्टूडेंट भी अगर अच्छा आइडिया लाता है तो वह हमारे वेबसाइट के जरिए बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट से कांटैक्ट कर सकता है। इंडस्ट्रियलिस्ट उसे उसके काम में हर संभव मदद देते हैं। फिर वह फंडिंग करना हो या उसे प्रमोट करना।
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