19.5.16

7वें साल में दसवीं पास, 15वें साल में बनी Phd की छात्रा

जिस देश में करीब 35 फीसदी लड़कियों को पढ़ने की छूट नहीं दी जाती है उसी देश में मात्र 15 साल की उम्र में सुषमा वर्मा ने पीएचडी में दाखिला ले लिया है। जिस उम्र में बच्चों को खेलने से फुर्सत नहीं मिलती उस उम्र में सुषमा ने 10 वी कक्षा की परीक्षा दे दी थी। सुषमा ने महज 7 साल की उम्र में 10 वीं की परीक्षा पास कर ली थी।
7वें साल में दसवीं पास, 15वें साल में बनी Phd की छात्रा

वहीं 13 वर्ष की उम्र में उसने कॉलेज में एडमिशन ले लिया था। उसने लखनऊ युनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। और अब सुषमा ने 15 साल की उम्र में पीएचडी की पढ़ाई के लिए अपना एनरोलमेंट करा कर देश की सबसे छोटी पीएचडी की छात्रा बनने का खिताब अपने नाम कर लिया है। 

वह लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर युनिवर्सिटी की पीएचडी की छात्रा है। सबसे अजीब बात है कि उसकी पीएचडी कक्षा के सभी सहपाठी उससे करीब 8 से 9 साल बड़े हैं। 2007 में उसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में कक्षा 10 की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली  देश की सबसे छोटी छात्रा के रूप में दर्ज  किया गया था।

उसकी डॉक्टर बनने की इच्छा थी जिसके लिए उसने उत्तर प्रदेश कंबाइंड प्रीमेडिकल टेस्ट की परीक्षा दी थी। हालांकि उसके कम उम्र के चलते उसके रिजल्ट को रोक दिया गया था।

सुषमा का मानना है कि किसी भी इंसान की पहचान उसके काबिलियत से होती है न की उम्र से। सुषमा डॉक्टर बनना चाहती है पर अब उसे 18 साल तक इंतजार करना होगा। सुषमा का बड़ा भाई शैलेन्द्र भी मात्र 14 साल की उम्र में देश का सबसे छोटा कंप्यूटर साइंस ग्रेजुएट बन चुका है।

सबसे आश्चर्य बात यह है कि सुषमा ने जिस कॉलेज से ग्रेजुएशन पास की है उसी कॉलेज में उसके पिता तेज बहादुर सफाई कर्मचारी हैं। पर सुषमा को इस बात का गर्व है।

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