4.6.16

7 साल की उम्र में बना सर्जन, अब कर रहा है कैंसर पर रिसर्च

7 Year Old Surgeon

जिस उम्र में कैंची-छुरी पकड़ने में बच्चों के हाथ कंपकपाते हैं, उस उम्र में उसने वो कारनामा कर दिखाया कि पूरी दुनिया में उसकी वाहवाही हो गई। सब हैरान भी थे लेकिन उसके लिए शुभचिंतक भी थे। वो उसके लिए दुआएं करने लगे। 

वो बच्चा भी इस कदर जुनूनी था कि परिपक्वता की कसौटी धड़ाधड़ पार करता गया और महज सात साल की उम्र में सर्जन बन गया। एक ऐसा सर्जन जिसे देखकर कोई यकीन नहीं कर पा रहा था। लेकिन एक दिन अपने से एक साल बड़ी लड़की की उंगली का ऐसा ऑपरेशन किया कि चिकित्सा जगत भी स्तब्ध रह गया।

इस बच्चे पर वो जुमला सटीक बैठता है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती। कच्ची उम्र में किए गए इस बच्चे के सारे कारनामों को जानेंगे तो दातों तले उंगलिया दबा लेंगे। 

ये कहानी है अकृत प्राण जसवाल की। अकृत की उम्र और उसके कामों को देख कोई भी यही कहेगा कि इस बच्चे पर ऊपर वाले की रहमत है। ये बच्चा गॉड गिफ्टेड है। उसकी क्षमताओं, उसके जज्बे, उसके जुनून की बुनियाद पर खड़ी उसकी पूरी की पूरी सक्सेस स्टोरी पढ़ कर आप आत्मविश्वास से भर जाएंगे। 


5 साल की उम्र में ही पढ़ने लगा शेक्सपीयर की किताबें

7 साल की उम्र में बना सर्जन, अब कर रहा है कैंसर पर रिसर्च

23 अप्रैल 1993 को हिमाचल के नुरपुर में जब इस बच्चे की किलकारियां गूंजी तब किसी को ये इल्म भी नहीं था कि उनके घर में आम नहीं बल्कि एक असाधारण और विलक्षण प्रतिभा वाला बच्चा पैदा हुआ है। अकृत ने कम उम्र में ही बोलना और पढ़ना-लिखना सीख लिया। उसकी हरकतों से मां बाप समझ चुके थे कि उनका बेटा दूसरे बच्चों से अलग है। 

वो इतने प्रतिभाशाली थे कि 5 साल की उम्र में ही शेक्सपीयर की किताबें पढ़ने लगे थे। हालांकि अकृत की रुचि शुरू से ही मेडिकल क्षेत्र में थी। लेकिन सब उस वक्त ये देख दंग रह गए जब उसने अपनी पहली सर्जरी को महज सात वर्ष की उम्र में अंजाम दिया।

अकृत ने आठ साल की एक लड़की की कटी हुई उंगली का सफल ऑपरेशन किया था। उस लड़की के घर वाले अपनी बेटी का इलाज डॉक्टर से कराने की हैसियत नहीं रखते थे। इस सर्जरी ने अकृत को अपने शहर का मेडिकल जीनियस बना दिया। 

इंपीरियल कॉलेज ने कैंसर पर रिसर्च करने के लिए बुलाया लंदन

7 साल की उम्र में बना सर्जन, अब कर रहा है कैंसर पर रिसर्च

उनकी सफलता का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। 12 साल की उम्र में वो भारत के एक मेडिकल स्कूल में प्रवेश पाने वाले सबसे कम उम्र के छात्र बन गए। उनका आईक्यू 146 था, जो उनके उम्र के बच्चों से कहीं ज्यादा था। वो अमेरिका के टीवी शो औपरा विनफ्रे शो में भी शामिल हुए।

अकृत ने उस वक्त सारी मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया जब उन्होंने दावा ठोका कि वो कैंसर का इलाज जानते हैं। उस समय कुछ लोगों ने ये सवाल भी उठाया कि अकृत की प्रसिद्धि उनके बचपन के लिए हानिकारक भी हो सकती है, जिसे अकृत ने गलत साबित कर दिया। वो दुनिया के सात सबसे टैलेंटेड बच्चों की लिस्ट में शामिल हो गए। उन्होंने अप्लाइड केमेस्ट्री में मास्टर्स डिग्री भी की।

बाद में उन्हें लंदन के इंपीरियल कॉलेज में कैंसर पर रिसर्च करने के लिए भी बुलाया गया। अभी उनकी उम्र 23 साल है और वो आईआईटी कानपुर से बायोइंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं और अपने करियर के ऊंचे आयाम को छू रहे हैं।

कम उम्र में ही सफलता के शिखर पर पहुंचने वाले अकृत को हमारी ओर से ढेरों शुभकामनाएं।  

उम्मीद है अकृत की सक्सेस स्टोरी जानकर देश के करोड़ों बच्चों को आगे बढ़ने और जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिलेगी। आपको ये कहानी कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में देना न भूलें। आप चाहें तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर भी कर सकते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कहानी से प्रेरित हो सकें।

Share this

Related Post

0 Comment to "7 साल की उम्र में बना सर्जन, अब कर रहा है कैंसर पर रिसर्च"

Post a Comment