10.7.16

दिव्यांग भाई के लिए घोड़ा बन गया छोटा भाई, एक साथ पास की IIT

Bihar sublings beat all difficulties and crack IIT exam

अगर हौसला हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता। हौसलों के सामने हमारी कोई कमी मायने नहीं रखती। ये बात साबित की है बिहार के रहने वाले दो गरीब भाइयों ने।  

ये कहानी है दो भाइयों की। बड़ा भाई कृष्ण विकलांग है, और छोटा भाई बसंत अपनी पीठ पर लादकर उसे स्कूल लाता ले जाता रहा है। इन दोनों ही भाइयों ने आईआईटी की कठिन परीक्षा पास कर ली है। कुष्ण ने आईआईटी की परीक्षा में ओबीसी,विकलांग कोटा में पूरे भारत में 38वां रैंक हासिल किया है। जबकि उसके छोटे भाई बसंत ने ओबीसी कैटेगरी में 3675वां रैंक हासिल किया है। 

उनके पिता मदन पंडित के पास समस्तीपुर के परोरिया गांव में 5 बीघा जमीन है जबकि उनकी मां गृहिणी हैं। कृष्ण जब 6 साल का था तभी उसे पोलियो हो गया था। बाद में बसंत ही उसे अपने कंधों पर बिठाकर स्कूल ले जाता था। 

दोनों का सपना इंजीनियर बनने का था। यही सपना उन्हें इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोटा ले गया। 3 साल पहले दोनों भाई कोटा पहुंचे और वहां एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला ले लिया। यहां भी छोटा भाई अपने कंधों पर उठाकर अपने भाई को कोचिंग क्लासेस ले जाता था और दोनों साथ-साथ पढ़ाई करते थे।

रोज अपनी पीठ पर लादकर ले जाता था अपने विकलांग भाई को

कृष्ण के लिए उसका भाई पैरों से कहीं ज्यादा था। हमेशा से साथ पढ़ने वाले भाई आईआईटी में रैंक के अंतर की वजह से अब अलग हो जाएंगे। बसंत भावविभोर होकर बताता है कि 'अपने भाई के लिए ये सब करने का मैं आदी हो चुका हूं। अपने बड़े भाई के बिना रहना मेरे लिए बहुत कठिन है। सफलता का ये फल बहुत मीठा है लेकिन हम दोनों के बिछड़ने से ये खट्टा हो जाएगा'। 

बचपन की घटना को याद करते हुए बसंत बताता है कि 'जब हम पांचवीं कक्षा में थे तब मैंने एक कैंप में हिस्सा लिया था। उस समय मेरा भाई कृष्ण मेरे बिना नहीं रह पा रहा था'। 

पहले प्रयास में असफल होने के बाद उनके पिता ने उनसे वापस लौटने के लिए कहा। लेकिन उनके दो बड़े भाई जो मुंबई के एक गैराज में काम करते हैं, ने उन लोगों को पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। और उनकी पूरी मदद करने के लिए कहा। 

कृष्ण ने बताया कि संस्थान के मैनेजमेंट ने उनकी 75% फीस माफ कर दी है और उन्हें स्कॉलरशिप भी मिलेगी। 

बिहार के इन दोनों गरीब भाईयों की कहानी आपको कैसी लगी? आप अपने विचार कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं। आप इसे सोशल मीडिया पर शेयर भी कर सकते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इनकी कहानी से प्रेरित हो सकें।  

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