
टैक्सी ड्राइवर से इंजीनियर बनते तो आपने देखा होगा पर क्या कभी सुना है कि कोई आदमी इंजीनियर से टैक्सी ड्राइवर बन गया हो। जी हां, एक आदमी ऐसा है जिसने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर टैक्सी चलाने का काम करता है। ये पिछले 32 सालों से मारीजों को मुफ्त में अपनी टैक्सी से अस्पताल छोड़ने का काम कर रहे हैं। इनकी यह टैक्सी जरुरतमंदो के लिए एम्बुलेंस बन जाती है। लेकिन कभी ये टैक्सी ड्राइवर पेशे से इंजीनीयर थे। एक हादसे ने इनकी पूरी जिंदगी बदल दी।
75 साल के विजय ठाकुर मुम्बई में आम टैक्सी ड्राइवरों की तरह लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम करते हैं। कभी वह पेशे से इंजीनियर थे। बाद में उन्होनें इंजीनियर की नौकरी छोड़कर टैक्सी ड्राइवर बनने का फैसला किया।
1984 में उनकी पत्नी का गर्भपात हो गया था। उस दिन रात के 2 बजे रहे थे। पत्नी को अस्पताल ले जाने के लिए वह टैक्सीवालों से गुहार लगाते रहे। लेकिन अस्पताल ले जाने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ था।
उसी दिन विजय ने जरूरतमंदों को वक्त पर अस्पताल पहुंचाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और लोगों के लिए टैक्सी सर्विस शुरु की।
एक फोन कॉल पर उनकी ये टैक्सी पलभर में ही एम्बुलेंस बन जाती है। विजय कभी भी किसी मरीज से पैसे नहीं लेते।
विजय ठाकुर के 19 वर्षीय बेटे अमित ठाकुर की मौत 1999 में हो गयी। इसके बावजूद भी उनका इरादा कमजोर नहीं हुआ।
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