3.12.16

सभी धर्मों का आधार है ‘ॐ’, यह सिर्फ़ हिन्दुओं की ही नहीं, पूरी मानवता की पहचान है

ॐ महज़ एक शब्द नहीं, बल्कि अपने आप में एक ब्रह्मांड है. इसे बहुत ही पवित्र माना जाता हैं. ॐ को हम शांति का प्रतीक मानते हैं. हो सकता है कि लोगों के लिए यह एक धार्मिक उच्चारण है, लेकिन मैं बता देना चाहता हूं कि ॐ का महत्व धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लिए ज़्यादा होता है. यूं तो ॐ के उच्चारण से हम ब्रह्मांड में निहित समस्त ऊर्जाओं को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं. शरीर के मानसिक विकारों को अपने से दूर कर लेते हैं. मगर, आज हम इन विषयों पर चर्चा नहीं करना चाह रहे हैं. आज हम ॐ का सभी धर्मों में क्या महत्व है, इस बात पर चर्चा करने जा रहे हैं.
ॐ शब्द को हिन्दू धर्म का प्रतीक चिह्न ही नहीं, इसे हिन्दू परंपरा का सबसे पवित्र शब्द माना जाता है. हिन्दू धर्म के सभी वेद मंत्रों का उच्चारण भी ॐ से ही प्रारंभ किया जाता रहा है. लेकिन ग़ौर करने वाली बात ये है कि इसमें हिन्दू-मुस्लिम जैसी कोई बात ही नहीं है. यदि आप ये सोच रहे हैं कि ॐ किसी ख़ास धर्म का चिन्ह है, तो आप पूरी तरह से ग़लत हैं. ॐ तब से अपने अस्तित्व में है, जब कोई धर्म पैदा नहीं हुआ था. सिर्फ़ मानवता थी. आइए, आपको कुछ उदाहरणों द्वारा इसे समझाते हैं.

हिन्दू धर्म के उपासक ॐ शब्द को अपने सभी मंत्रों और भजनों में शामिल करते हैं.



मुस्लिम ॐ को आमीन कहते हैं.



बौद्ध इसे 'ॐ मणिपद्मे हूं' कह कर प्रयोग करते हैं.



सिख समुदाय भी 'इक ओंकार' अर्थात एक ॐ का गुण गाता है.



अंग्रेज़ी में ॐ को Omni कहते हैं, जिसका अर्थ होता है अनंत.

मानव जीवन में ॐ का बहुत ही योगदान है. ॐ में दुनिया की सभी ध्वनियां निहित है. ॐ महाशक्तिशाली है, जो रोग और मोह-माया को जड़ से ख़त्म कर देता है.

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